क्या है Internet Explorer के बंद होने की वजह?

नई दिल्ली। आज के समय में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां पर इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं होता होगा। इंटरनेट ( Internet ) के जरिए दुनियाभर की जानकारी या कोई भी सूचना हासिल करने के लिए शुरूआती समय में इस्तेमाल की जाने वाली ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर ( Internet Explorer ) अब बंद होने जा रहा है। इसे एक संयोग ही कहा जाए कि भारत में इस साल इंटरनेट सुविधा के शुरू होने के 25 साल पूरे हुए हैं और इसी अवसर पर इंटरनेट एक्सप्लोरर को बंद करने का ऐलान किया गया है।

दरअसल, दुनिया के सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ( Micfosoft ) ने अपने सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्‍सप्‍लोरर 11 ( IE11 ) और एज ब्राउजर ( Edge Browser ) को बंद करने का फैसला किया है। बहुत जल्द ही इन दोनों ब्राउजर्स के लिए टेक्नीकल सपोर्ट भी बंद हो जाएगा। ऐसे में इस ब्राउजर्स का इस्तेमाल करने वालों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से एक चुनौती हो सकती है।

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माइक्रोसॉफ्ट ने घोषणा की है कि साल 2021 की शुरुआत से वह Internet Explorer 11 और Edge Browser को बंद करने जा रही है। लेकिन इसकी प्रक्रिया इसी साल 30 नवंबर से शुरू हो जाएगी। इस ब्राउजर के बंद होने के बाद माइक्रोसॉफ्ट 365 ( Microsoft 365 ) ऐप्स और सर्विसेस 17 अगस्त 2021 से शुरू होने वाले ब्राउजर को सपोर्ट नहीं करेंगी। मसलन सीधे तौर पर कहें तो यूजर्स Internet Explorer 11 पर Microsoft की सर्विसेस जैसे कि Outlook, OneDrive और Office 365 का उपयोग नहीं कर पाएंगे। 9 मार्च, 2021 के बाद से Microsoft Edge Legacy डेस्कटॉप ऐप को नए सुरक्षा अपडेट नहीं मिलेंगे।

इंटरनेट एक्स्प्लोरर के बंद होने की वजह

माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी है। पूरे विश्व में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाए गए वेब ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है। शुरूआती समय से अब तक दुनिया के सभी विंडोज लैपटॉप और कम्प्यूटर में डिफॉल्ट रूप से इंटरनेट एक्स्प्लोरर इंस्टॉल्ड मिलता है।

हालांकि बीते कुछ सालों में माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट के बेहतर एक्सेस के लिए नए-नए फीचर्स और सुरक्षा मानकों के साथ ब्राउजर लॉंच किए हैं। जिसका इस्तेमाल आज सबसे अधिक किया जाता है। इसमें गूगल क्रोम सबसे प्रमुख वेब ब्राउजर है।

मौजूदा समय में इंटरनेट एक्सप्लोरर का इस्तेमाल महज पांच फीसदी लोग ही करते हैं। इंटरनेट एक्सप्लोरर के लिए ये सबसे दुःख की बात है। लोग अपने कम्प्यूटर और लैपटॉपर पर गूगल क्रोम या मॉजिला फायरफॉक्स ( Firefox Mozila ) इंस्टॉल करते हैं। इसके बाद इंटरनेट एक्सप्लोरर को कोई भी इस्तेमाल नहीं करता है।

2001 में 90 फीसदी लोग इंटरनेट एक्स्प्लोरर का इस्तेमाल करते थे। लेकिन जुलाई 2020 में दुनिया के महज 1.3 फीसदी यूजर्स (डेस्कटॉप प्लस मोबाइल) इंटरनेट एक्स्प्लोरर का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं माइक्रोसॉफ्ट एज का इस्तेमाल केवल 2.2 प्रतिशत लोग ही करते हैं।

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2002 में मोजिला का फायरफॉक्स और 2008 में गूगल क्रोम के आने का बाद से इंटरनेट एक्स्प्लोरर का बाजार शेयर कम होता चला गया। आज के समय में Google का क्रोम, (क्रोमियम पर आधारित और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ एकीकृत) अब तक सभी प्लेटफार्मों में 66 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे लोकप्रिय ब्राउजर है। इसके अलावा Apple का इस्तेमाल करने वाले सफारी (16.65 प्रतिशत) को पसंद करते हैं। वहीं, Geeks मोज़िला के फ़ायरफ़ॉक्स (4.26 प्रतिशत), ओपेरा (2.05 प्रतिशत), Vivaldi (0.04 प्रतिशत) का उपयोग करते हैं। ओपेरा और Vivaldi दोनों ही क्रोमियम में शीर्ष पर बने हैं।

लिहाजा कंपनी ने इंटरनेट एक्सप्लोरर सुविधा को ही खत्म करने का फैसला किया है, जो कि को 30 नवंबर के बाद किसी भी लॉपटॉप या डेस्कटॉप में सपोर्ट देना बंद कर देगी। जबकि लिगेसी एज वर्जन को मार्च 2021 के बाद कोई अपडेट नहीं मिलेगा।

25 साल पहले शुरू हुआ था इंटरनेट एक्सप्लोरर

आपको बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट ने 16 अगस्त 1995 को इंटरनेट एक्सप्लोरर को रिलीज किया था। उस दौरान विंडोज 95 के साथ एड ऑन पैकेज प्लस के इसे मार्केट में पेश किया गया था। इसके राइटर थॉमस रियरडॉन ( Thomas Reardon ) हैं। माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर की प्रोग्रामिंग लैग्वेज सी प्लस प्लस ( C++ ) है।

आपको बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट ने इसी साल जनवरी में क्रोमियम बेस्ड एज ब्राउजर का प्रीव्यू लॉंच किया था। इसे मई 2021 में सभी के लिए जारी किया जाएगा। क्रोमियम आधारित माइक्रोसॉफ्ट एज ( Microsoft Edge ) ब्राउजर विंडोज और मैकओएस सभी को सपोर्ट करता है। क्रोमियम आधारित माइक्रोसॉफ्ट एज को डाउनलोड कर लिगेसी वर्जन को रिप्लेस किया जा सकता है। इसमें इनबिल्ट प्राइवेसी और सिक्योरिटी फीचर्स के अलावा कई नई तरह के फीचर्स यूजर्स को मिलेंगी।



Source: Gadgets