Online Scam : पांच रुपए के चक्कर में युवती ने गंवाए 1.38 लाख रुपए

Online Parcel Scam : भारत में हाल के दिनों में ऑनलाइन स्कैम बढ़ते ही जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में हजारों लोग अज्ञात साइबर हॉकरों के शिकार बने हैं और लाखों का नुकसान हुआ है। गुजरात के अहमदाबाद के एक हालिया मामले में, एक युवती कथित तौर पर कूरियर डिलीवरी स्कैम में फंसकर 1.38 लाख रुपए गंवा बैठी। हालांकि, घटना मई महीने की है लेकिन मामला अभी सामने आया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 25 वर्षीय फैशन डिजाइनर मितीक्षा शेठ ने अपना पार्सल लेने के लिए एक लिंक पर क्लिक किया जिसके बाद उसके खाते से 1.38 लाख रुपए निकल गए।

रिपोर्ट के अनुसार, पीडि़ता ने पालड़ी में एक टेलर को कपड़े सिलने के लिए दिए थे और कपड़ों के पार्सल का ही इंतजार कर रही थी। ऑर्डर पूरा होने के बाद, टेलर ने उसे सूचित किया कि ऑर्डर डिलीवरी के लिए भेज दिया गया है। हालांकि, कॉल के 2-3 दिन बाद भी, जब पीडि़ता को उसका पार्सल नहीं मिला, तो उसने टेलर द्वारा कूरियर को ट्रैक करने के लिए दिए गए लिंक के जरिए ऑर्डर को ट्रैक करना शुरू कर दिया।

पुलिस को दी अपनी शिकायत में सेठ ने बताया कि 11 मई को मुझे अचानक याद कि मैंने पालड़ी एक टेलर को कपड़े सिलने के लिए दिए थे। टेलर से जब संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उसने कूरियर कंपनी के जरिए कपड़ों को उनके बताए हुए पते पर भिजवा दिए थे। चूंकि कॉल करने के 2 दिन बाद भी जब मुझे पार्सल नहीं मिला, इसलिए इसे मैंने गूगल पर ट्रैक करना शुरू कर दिया।

पीडि़ता ने आगे बताया कि पार्सल को ट्रैक करने के कुछ मिनट बाद, उसके पास एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को कूरियर फर्म का कर्मचारी बताया। कथित कर्मचारी ने आगे बताया कि उसके पास उसका पार्सल है और डिलीवरी शुल्क का भुगतान करने के बाद इसे डिलिवर कर दिया जाएगा। उन्होंने पीडि़ता को पार्सल डिलिवर करने के लिए शुल्क के तौर पर पांच रुपए मांगे।

पीडि़ता ने अपनी शिकायत में आगे बतााया कि कॉल करने वाले ने भुगतान के लिए पीडि़ता के साथ एक लिंक भी साझा किया। पीडि़ता ने बताया कि लिंक के जरिए उसने 5 रुपए का भुगतान कर दिया। हालांकि, भुगतान के बाद, उसे एक बार फिर अतिरिक्त शुल्क के रूप में 5 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा गया। पीडि़ता ने आगे बताया, ूसरे लेनदेन के बाद, मुझे ऑनलाइन स्कैम का संदेह हुआ और इसलिए मैंने अपना बैंक खाता निष्क्रिय कर दिया। मैंने 13 से 21 मई के बीच अपने सेलफोन का उपयोग नहीं किया क्योंकि मैं यात्रा पर था।

हालांकि, कॉल के कुछ दिन बाद जब पीडि़ता ने अपना अकाउंट चेक किया तो उसके बैंक बैलेंस में पैसे कम थे। पीडि़ता ने कहा, बाद में जब मैंने अपने दोस्त को कुछ पैसे भेजने की कोशिश की, तो मुझे पता चला कि मेरे खाते में पर्याप्त शेष नहीं हैा। इसका पता लगाने के लिए मैं अगले दिन बैंक शाखा में गई और अपना विवरण प्राप्त किया, जिसमें पता चला कि 12 और 13 मई को चार लेनदेन में उसके खाते से 1.38 लाख रुपए डेबिट किए गए थे। जब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है और वह स्कैमर्स ने सफलतापूर्वक उसके खाते से पैसे निकाल लिए, पीडि़ता ने साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर कॉल किया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई।

उल्लेखनीय है कि इस तरह के बढ़ते मामलों के बीच बैंक और जांच एजेंसियां लोगों को समय समय पर ऐसे स्कैमर्स से बचने की सलाह देती रहती हैं। एजेंसियां और बैंक लोगों से कहते रहते हैं कि वे किसी से भी बैंक और अन्य निजी जानकारियां किसी से भी साझा नहीं करें, चाहें वे बैंक के कर्मचारी ही क्यों न हों।



Source: Gadgets