Suvichar

बेबस किशोर सागर तालाब का बड़प्पन… मैं सारे जीवों को क्षमा करता हूं…

(बकलम विजय चौधरी) अपने जल से, अपने तल से, अपनी लहरों से, अपनी हवाओं से और अपनी खूबसूरती से मैं तो शहर को सदैव खुशी, उत्साह और ऊर्जा देने की कोशिश करता हूं, फिर ये शहर इतना खफा क्यों हो गया, इतना नाराज क्यों हो गया कि मेरे अस्तित्व के विसर्जन की ही ठान ली। …

कुम्हार जब घड़ा बनाता है, तो बाहर से तेज थपथपाता है और…

कुम्हार जब घड़ा बनाता है, तो बाहर से तेज थपथपाता है और; अन्दर प्यार से सहलाता है। एक सुन्दर मजबूत इन्सान बनने के लिए, अपने कुम्हार (ईश्वर) पर भरोसा रखिए,1 वो हमें टूटने नही देगा। Source: Suvichar

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही जरूरी है जितना की एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही जरूरी है जितना की एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना  Source: Suvichar