Digital Well-Being Index: बच्चों की इंटरनेट-सेफ्टी पर नजर रखने में अमरीका से आगे इंडिया

बात जब बच्चों या किशोरों की ऑनलाइन सुरक्षा (online safety) की हो तो अभिभावक की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। स्नैप इंक (स्नैपचैट) की नई रिपोर्ट के अनुसार, 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय माता-पिता ऑनलाइन सुरक्षा उपायों को लेकर सबसे ज्यादा सजग हैं। स्नैपचैट की डिजिटल वेल-बीइंग इंडेक्स में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमरीका से ऊपर भारत है। यही नहीं, भारत लगातार दूसरे साल रैंकिंग में शीर्ष पर है। रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे भारतीय माता-पिता लगातार ऑनलाइन सुरक्षा जांच में लगे हुए हैं और ‘माता-पिता-किशोर’ जुड़ाव वाली संस्कृति की नींव रख रहे हैं।

एक-दूसरे से लेते रहते हैं मदद

ऑनलाइन सेफ्टी में माता-पिता-बच्चे की भागीदारी पर उल्लेखनीय जोर देने के साथ भारत ने 67 का समग्र स्कोर हासिल किया। 82 प्रतिशत से अधिक भारतीय माता-पिता तकनीकी सहायता के लिए अपने किशोर बच्चों की ओर रुख करते हैं, जो परिवारों के बीच एक मजबूत बंधन और खुले संचार को दर्शा रहा है। इसके अलावा, 60 प्रतिशत भारतीय किशोर ऑनलाइन जोखिमों का सामना करने पर सुरक्षा के प्रति सजगता दिखाते हुए अपने माता-पिता से मार्गदर्शन लेते हैं। ऐसे माता—पिता, जिन्होंने अपने बच्चों से तकनीकी सहायता मांगी, 64 प्रतिशत ने सॉफ्टवेयर से संबंधित मार्गदर्शन मांगा, जबकि 64 प्रतिशत ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर नेविगेट करने में सहायता मांगी।

स्कोर

  1. भारत 67
  2. ऑस्ट्रेलिया 63
  3. जर्मनी 60
  4. ब्रिटेन 62
  5. अमरीका 64
  6. फ़्रांस 59

सर्वे के दो प्रमुख निष्कर्ष:

  • 78% ने जेन जेड किशोरों और वयस्कों ने कहा कि उन्हें पिछले वर्ष अधिक ऑनलाइन जोखिम महसूस हुआ जो 2022 से दो प्रतिशत अंक अधिक है।
  • 50% माता-पिता ने कहा कि वे अपने किशोरों की ऑनलाइन गतिविधियों पर सक्रिय रूप से निगरानी रखने के सर्वोत्तम तरीके जानते हैं।

इस तरह बनाई गई इंडेक्स

इंडेक्स 9,100 उत्तरदाताओं के ऑनलाइन सर्वेक्षण के आधार पर बनाई गई। इसमें जेन जेड किशोर (13-17 वर्ष की आयु), जेन जेड वयस्क (18-24 आयु वर्ग) और 6 देशों ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन और अमरीका के माता-पिता शामिल थे। प्रारंभिक डिजिटल वेल—बीइंग सूचकांक 62 माना गया है, जो 0 से 100 के पैमाने पर एक सामान्य औसत परिणाम है।

इन सभी से सावधान रहने की जरूरत

ऑनलाइन सुरक्षा के मुद्दों में साइबरबुलिंग (Cyberbullying), सेक्सटिंग (Sexting) में भाग लेने का दबाव, खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाना और पोर्नोग्राफी देखने के साथ-साथ कई अन्य बातें शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा साइबर-फ्लैशिंग (अश्लील कंटेंट भेजना) और ‘डीपफेक’ (Deepfake) पोर्नोग्राफी को शेयर करने के लिए भी बच्चे को उकसाया जा सकता है। वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित ऐप्स, ऑनलाइन गेम, स्मार्ट होम आदि भी बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। इन पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।



Source: Gadgets